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प्रस्तावना
भारत विविधताओं का देश है और यहाँ के त्यौहार हमारी संस्कृति की आत्मा हैं। इन्हीं में से एक है नवरात्रि, जो शक्ति की उपासना और माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है। यह नौ रातें केवल पूजा-अर्चना का समय नहीं, बल्कि पूरे देश में एक आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक रंग और अपार भक्ति का संगम है।
गुजरात की गरबा नाइट्स, बंगाल की दुर्गा पूजा, उत्तर भारत की रामलीला और जागरण, दक्षिण भारत का गोłu और कर्नाटक का मैसूर दशहरा – सब मिलकर यह संदेश देते हैं कि भारत की सांस्कृतिक विरासत कितनी भव्य और समृद्ध है।
गुजरात – गरबा और डांडिया नाइट्स का अद्भुत रंग
नवरात्रि का नाम आते ही सबसे पहले याद आता है गुजरात का गरबा। चनिया-चोली पहनी महिलाएँ और कड़क kediyu पहने पुरुष, हाथों में डांडिया लेकर माँ अम्बे के गीतों पर थिरकते हैं।
“नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है। विस्तार से पढ़ें – नवरात्रि 2025 दिनवार पूजा विधि।
छोटे गाँवों से लेकर बड़े शहरों तक हर जगह विशाल मैदानों में हजारों लोग एक साथ गरबा करते हैं।
गरबा केवल नृत्य नहीं, बल्कि माँ शक्ति की परिक्रमा का प्रतीक है।
पश्चिम बंगाल – दुर्गा पूजा का अलौकिक अनुभव
अगर नवरात्रि के दौरान भक्ति और कला का सबसे बड़ा संगम देखना हो, तो कोलकाता की दुर्गा पूजा से बड़ा उदाहरण नहीं।
“दुर्गा पूजा की कलात्मकता उतनी ही भावपूर्ण है जितनी नवरात्रि 2025 दिन 7 – माँ कालरात्रि पूजा की आराधना।
कुम्हारटोली (Kumartuli) के मूर्तिकार महीनों पहले से माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ गढ़ना शुरू करते हैं।
मिट्टी का चयन गंगा किनारे से होता है और इसमें “नदी की पवित्रता” की मान्यता जुड़ी होती है।
मूर्तिकार बताते हैं – “जब हम मिट्टी से माँ की आँखें बनाते हैं, ऐसा लगता है मानो वास्तव में शक्ति हमारी सांसों में उतर आई हो।”
दुर्गा पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक महोत्सव है – पंडालों की कलात्मक सजावट, सिंदूर खेला, ढाक की धुन और भोग की महक पूरे वातावरण को दिव्य बना देती है।
“आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है, जिनकी आराधना से जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है। पढ़ें – नवरात्रि 2025 दिन 8 – माँ महागौरी पूजा विधि और कथा।”
महाराष्ट्र – घटस्थापना और डांडिया की धूम
महाराष्ट्र में नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। घर-घर में कलश की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है।
मुंबई और पुणे जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर डांडिया और गरबा नाइट्स आयोजित होते हैं।
बॉलीवुड गीतों के साथ पारंपरिक भक्ति गीत भी शामिल किए जाते हैं।
कई जगहों पर सामूहिक अनुष्ठान और माँ की भव्य आरती से वातावरण श्रद्धामय हो जाता है।
उत्तर भारत – रामलीला और जागरण
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में नवरात्रि का मुख्य आकर्षण है –
रामलीला: जहाँ भगवान राम की लीला का मंचन होता है।
विजयादशमी पर रावण दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
साथ ही, माता के जागरण और भजन संध्या में पूरी रात भक्त माँ दुर्गा के गीत गाते हैं।
जगह-जगह लंगर और प्रसाद वितरण भी होता है।
दक्षिण भारत – गोलू और मैसूर दशहरा
दक्षिण भारत में नवरात्रि की परंपरा थोड़ी अलग है।
गोलू (Golu): तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में घरों में लकड़ी की सीढ़ीनुमा सजावट कर देवी-देवताओं और लोककथाओं की मूर्तियाँ सजाई जाती हैं।
आयुध पूजा: इस दिन लोग अपने औज़ार, किताबें और वाहन तक की पूजा करते हैं।
मैसूर दशहरा: कर्नाटक का सबसे बड़ा उत्सव है। मैसूर पैलेस रोशनी से जगमगा उठता है, हाथियों की शोभायात्रा निकलती है और शहर एक अद्भुत दृश्य बन जाता है।
पूर्वोत्तर और ओडिशा – भक्ति और परंपरा का संगम
असम में शक्ति पूजा और नवरात्रि एक साथ मनाई जाती है।
ओडिशा में दुर्गा पूजा भले ही बंगाल से प्रेरित हो, लेकिन यहाँ की स्थानीय कला, पारंपरिक संगीत और रथयात्राएँ इसे खास बनाती हैं।
मूर्तिकारों की भावनात्मक कहानी – मिट्टी से देवी तक
नवरात्रि की असली आत्मा उन मूर्तिकारों की मेहनत में भी छिपी है, जो महीनों पहले से माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ गढ़ना शुरू करते हैं।
ये मूर्तियाँ केवल कला नहीं होतीं, बल्कि भक्ति और आस्था का रूप होती हैं।
कुम्हारटोली के एक वृद्ध मूर्तिकार कहते हैं:
“हम अपनी आत्मा का अंश माँ की मूर्ति में डाल देते हैं। जब भक्त उनकी आँखों में नजर डालकर प्रणाम करते हैं, तो लगता है जैसे माँ सचमुच जीवित हो उठी हों।”
बारिश हो या धूप, ये कलाकार लगातार काम करते रहते हैं ताकि पूजा के समय माँ का सबसे सुंदर रूप भक्तों के सामने हो।
उनकी मेहनत, भावनाएँ और त्याग देखकर सचमुच रोमांचित हो जाते हैं।
“नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सभी सिद्धियों की देवी मानी जाती हैं। जानें – नवरात्रि 2025 दिन 9 – माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि और कथा
।”
पूरे भारत में नवरात्रि के समय –
बाजार सज जाते हैं – रंग-बिरंगी चुनरियाँ, चूड़ियाँ, दीये, और पूजा की सामग्री से।
भक्ति गीत और ढोल-नगाड़ों की धुनें गली-गली में सुनाई देती हैं।
हर कोई माँ दुर्गा के जयकारों में डूबा होता है – “जय माता दी” और “दुर्गा माँ की जय”।
यह उत्सव न केवल धर्म से जुड़ा है बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिक आनंद का भी प्रतीक है।
FAQs: नवरात्रि से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
👉 नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व है। यह बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।
Q2. गरबा और डांडिया का क्या महत्व है?
👉 गरबा माँ शक्ति की परिक्रमा का प्रतीक है। डांडिया महिषासुर के साथ माँ दुर्गा के युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
Q3. दुर्गा पूजा और नवरात्रि में क्या अंतर है?
👉 दुर्गा पूजा मुख्य रूप से पूर्वी भारत (विशेषकर बंगाल) का उत्सव है, जहाँ माँ दुर्गा की प्रतिमाओं की पूजा और विसर्जन होता है। नवरात्रि पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है।
Q4. दक्षिण भारत में गोलू क्या है?
👉 गोलू एक अनोखी परंपरा है जिसमें देवी-देवताओं और लोककथाओं की मूर्तियाँ सीढ़ीनुमा ढांचे पर सजाई जाती हैं।
Q5. विजयादशमी का महत्व क्या है?
👉 विजयादशमी रावण दहन और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
निष्कर्ष
नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भारत की आत्मा का उत्सव है। हर राज्य, हर परंपरा और हर संस्कृति इसमें अपना रंग भरती है। गुजरात का गरबा, बंगाल की दुर्गा पूजा, उत्तर भारत की रामलीला, दक्षिण का गोलू और कर्नाटक का दशहरा – सब मिलकर इस त्योहार को अद्वितीय बना देते हैं।
यह नौ रातें हमें सिखाती हैं कि भक्ति, एकता और सांस्कृतिक विविधता ही भारत की असली शक्ति है।