🌸 नवरात्रि का चौथा दिन – माँ कूष्माण्डा की कथा, पूजा विधि, महत्व एवं आरती 🌸

✨ परिचय

नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा को समर्पित होता है। चौथे दिन माँ के जिस स्वरूप की उपासना की जाती है, वे हैं माँ कूष्माण्डा। माना जाता है कि माँ कूष्माण्डा ही ब्रह्माण्ड की सृष्टिकर्ता हैं। उनके इस स्वरूप की आराधना से न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि भक्त के जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली भी आती है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे – माँ कूष्माण्डा की कथा, उनका स्वरूप, पूजा विधि, महत्व, चौथे दिन का विशेष रंग, मंत्र और आरती।

"Navratri 2025 Day 4 – Maa Kushmanda Puja Vidhi and Significance"

🌼 माँ कूष्माण्डा का स्वरूप एवं विशेषताएँ

माँ कूष्माण्डा को आदिशक्ति भी कहा जाता है। उनका स्वरूप अष्टभुजा वाला है, इसलिए इन्हें “अष्टभुजा देवी” भी कहा जाता है। उनके हाथों में – कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है। माँ सिंह पर विराजमान रहती हैं।
माँ कूष्माण्डा का निवास स्थान सूर्य मंडल है। वे ही ऐसी शक्ति हैं जो सूर्य के तेज में भी सहज रूप से स्थित रह सकती हैं। यही कारण है कि उन्हें ऊर्जा और प्रकाश की देवी कहा जाता है।
भक्त मानते हैं कि माँ की पूजा से जीवन में न केवल भौतिक समृद्धि आती है, बल्कि साधक की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

🌺 माँ कूष्माण्डा की कथा (Story)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब पूरे ब्रह्माण्ड में केवल अंधकार था और कहीं भी जीवन का अस्तित्व नहीं था, तब केवल आदिशक्ति माँ ही थीं। उन्होंने अपनी मंद मुस्कान से अंडाकार ब्रह्माण्ड की रचना की। यही कारण है कि वे “कूष्माण्डा” कहलाईं।
“कूष्माण्ड” शब्द का अर्थ है – कू (थोड़ा), उष्मा (ऊर्जा) और अंड (ब्रह्माण्ड)। अर्थात माँ ने अपनी सूक्ष्म ऊर्जा से अंडाकार ब्रह्माण्ड की रचना की।
एक अन्य कथा के अनुसार, माँ को कुम्हड़ा (Pumpkin) बहुत प्रिय है। इसलिए भक्त इस दिन विशेष रूप से कुम्हड़े का भोग लगाते हैं। ऐसा करने से माँ प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाती हैं।

🙏 पूजा विधि (Puja Vidhi)

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। विधि इस प्रकार है –

प्रातःकाल की तैयारी

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।

घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।

पूजा स्थल की सजावट

माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ चौकी पर स्थापित करें।

चौकी पर लाल या हरे रंग का वस्त्र बिछाएँ।

कलश स्थापना करें और उस पर नारियल रखें।

पूजन सामग्री

रोली, अक्षत, सिंदूर, पुष्प, धूप, दीपक, कपूर, नैवेद्य और मिठाई।

विशेष रूप से कुम्हड़ा (कद्दू) का भोग अवश्य लगाएँ।

पूजा विधि

सबसे पहले गणेश जी और कलश का पूजन करें।

फिर माँ कूष्माण्डा का ध्यान करें और उनके मंत्र का जप करें।

माँ को पुष्प, नैवेद्य और कुम्हड़े का भोग चढ़ाएँ।

धूप और दीप से आरती करें।

अंत में माँ से अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने की प्रार्थना करें।

Powerful माँ कूष्मांडा during Navratri 2025 चौथा दिन

🌟 महत्व एवं लाभ (Significance)

माँ कूष्माण्डा की उपासना से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ मिलते हैं –

जीवन से अज्ञान और अंधकार का नाश होता है।

साधक को आरोग्य, तेज और आयु की प्राप्ति होती है।

घर में धन-वैभव और समृद्धि आती है।

साधना करने वाले व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।

कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

🎨 चौथे दिन का रंग (Which Color to Wear)

नवरात्रि के चौथे दिन हरा (Green) रंग धारण करना सबसे शुभ माना गया है।
हरा रंग शांति, समृद्धि और नई ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन हरे वस्त्र पहनकर पूजा करने से –

जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।

परिवार में प्रेम और आपसी सहयोग बना रहता है।

नए कार्यों की शुरुआत में सफलता मिलती है।

🕉️ माँ कूष्माण्डा मंत्र (Mantras)

माँ कूष्मांडा पूजा Navratri 2025 चौथा दिन

मुख्य बीज मंत्र

“ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥”

👉 इस मंत्र का 108 बार जप करने से रोग, शोक और भय दूर होते हैं।

ध्यान मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

👉 इसका जप करने से मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

माँ कूष्माण्डा की आरती

आरती कूष्माण्डा माँ की, जो कोई नर गावे।
कहत सिंहासन माँ बैठी, भक्ति भाव से पावे॥

अष्टभुजा धारी माँ, सबका भार उठाती।
भक्त के दुख दर्द हरती, सुख-समृद्धि बरसाती॥

जय अम्बे जगदम्बे माता, तेरी महिमा अपार।
भक्तजन की रक्षा करती, हर लेती संताप साकार॥

👉 आरती के दौरान कपूर जलाकर घंटी बजाएँ और पूरे परिवार के साथ भक्ति भाव से गाएँ।

🌸 निष्कर्ष एवं शुभकामनाएँ

नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ है। माँ की आराधना से जीवन में प्रकाश और नई ऊर्जा का संचार होता है। भक्त को न केवल आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि उसका जीवन भौतिक दृष्टि से भी समृद्ध होता है। इस पावन अवसर पर माँ कूष्माण्डा से यही प्रार्थना है कि वे सभी भक्तों के जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण करें।

✨ आप सभी को नवरात्रि के चौथे दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। माँ कूष्माण्डा आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें। ✨

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